रोहिंग्या के मसले पर बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना म्यांमार पर भड़की हुई हैं। उन्होंने आरोप लगाया है म्यांमार ने अपने वादे के तहत अपने लाखों रोहिंग्याओं को वापस नहीं लिया है और साथ ही कुछ अंतरराष्ट्रीय मददगार एजेंसियों भी इस संकट को जिंदा रखना चाहती हैं। बांग्लादेश के कॉक्स बाजार जिले में 10 लाख से अधिक रोहिंग्या शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं। वे अगस्त 2017 में म्यांमार सेना की कार्यवाई के बाद वहां से भाग आए थे। हाल के इतिहास में यह सबसे बड़ा शरणार्थी संकट है।
जनवरी, 2018 में बांग्लादेश और म्यांमार के बीच रोहिंग्या शरणार्थियों को स्वदेश भेजने पर समझौता हुआ था। म्यांमार इस बात पर राजी हुआ था कि वह हर सप्ताह 1500 रोहिंग्याओं को अपने देश बुलाएगा। बांग्लादेश का कहना है कि इसका लक्ष्य दो साल के भीतर सभी रोहिंग्याओं की वापसी थी।
उन्होंने आधिकारिक आवास में
एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा, 'समस्या म्यांमार के साथ है क्योंकि वे किसी भी रूप से रोहिंग्या को वापस नहीं चाहते, जबकि उन्होंने उनकी वापसी को लेकर बांग्लादेश के साथ समझौता किया था।' हसीना ने आशंका जाहिर की कि कुछ अंतरराष्ट्रीय मददगार संस्थान भी इस संकट का समाधान नहीं चाहतीं। उन्होंने कहा, 'वे नहीं चाहते कि शरणार्थी अपने घर लौटे। यही मैं देख रही हूं।'
जब उनसे यह पूछा गया कि तीन बड़े देश-भारत,चीन और जापान ने संकट में म्यांमार का साथ दिया है तो उन्होंने कहा कि बांग्लादेश ने सभी देशों से अलग-अलग चर्चा की है और सभी ने माना है कि रोहिंग्या म्यांमार के नागरिक हैं और वे उनकी वापसी पर सहमत हैं। हसीना ने साथ ही कहा, 'लेकिन वे साथ ही मानते हैं कि अगर वे सभी म्यांमार से इस मुद्दे पर उलझते हैं, तो म्यांमार को समझाएगा कौन।'
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